हिन्दू जीवन-दर्शन के हिसाब से ईश्वर इस जग के कण-कण में विद्यमान हैं। ईश्वर की वास्तविकता तो सदा से ही बिल्कुल स्पष्ट, खुला तथा सरल रही है। वेदांत में किसी पाखंड, किसी चमत्कार और किसी भी विभ्रान्ति की कोई जगह कभी भी नही रही है। आप जब अहंकार रहित होकर, अपने स्वार्थ को तिलांजलि देकर निष्काम भाव से अपने आराध्य की प्रार्थना करते हैं तो स्वतः ही अपने भीतर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को देखने लगते हैं। निरंतर प्रार्थना से आपको अपनी आत्मा की पूर्णता का ज्ञान होने लगता है। आपको आन्तरिक शान्ति प्राप्त होती है, हर प्रकार का मन का मैल धूल जाता है, आध्यात्मिक सम्पदा की वृद्धि होती है, आत्मबल बढ़ता है तथा आत्म-ज्ञान प्राप्त होता है। ईश्वर से विनती है कि आपके आस पास से दुर्बलता, अपर्याप्तता, व्याधि, रोग तथा शोक का दूषित वातावरण बिल्कुल खत्म हो जाये और धर्म, प्रेम तथा भाईचारा आपके चारो तरफ फैलता चला जाये। आपके घर में हमेशा उमंग, आनंद और सुख-समृद्धि बनी रहे।